Ritesh Agarwal – India’s Youngest CEO की Success Story
Ritesh Agarwal Biography & Success Story in Hindi.                                    

                          जिस time मे हम अपने घर में बैठकर जिंदगी के मजे लेते है उस समए तक ये इंसान अपनी दुनिया में एक अलग पहचान बना रखा था ।जी मै उससी सुनहरे समए का बात कर रहे है जब हम जपने कॉलेज मे होतेcहे जोर जिंदगी के मजे लेते है और साथ साथ सोचते है की के करना है आगे जिंगी मे ,मगर यह इंसान जो कभी इंजीनियर बनना चाहते थे पर फिर कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया । उन्होंने एक सपना देखा इंटरप्रिनर बनने का किसी भी सपनों की राह आसान नहीं होती । वह इंसान जिसने स्कूल के आगे कभी पढाई नहीं की आज ओषो रूम्स के फाउंडर है। जी
हाँ वही ओधों रुम जो भारत के हर शहर में है। हम आज जनेगे ओयो रुम्स के फाउंडर रितेश अग्रवाल को।
20 वर्ष की कम उम्र में Oyo Rooms नाम की कंपनी की शुरूआत उड़ीसा के रीतेश अग्रवाल ने कर बड़े-बड़े अनुभवी उद्यमियों और निवेशकों को आश्चर्यचकित
कर दिया। OVO Rooms का मुख्य उद्देश्य ट्रैवलर्स को सस्ते दामों पर बेहतरीन और अच्छी मुविधाओं के
साथ देश के बड़े शहरों के होटलों में कमरा उपलब्ध कराना है। अगर हम बात करे तो व्यक्तिगत तौर पर, रीतेश सामान्य बुद्धी वाले युवा है जो की दिखने में पतले, लंबे और विखरे बालों वाले बिल्कुल किसी
कॉलेज के आम विद्यार्थी की तरह है। अंग्रेजी मे एक कहावत हे "Don't judge a book by its cover"
कभी-कभी सामान्य से दिखने वाले लोग भी कुछ ऐसे काम कर जाते है जिसकी किसी को उम्मीद नहीं होती।
रीतेश भी उन में से एक ऐसे ही युवा उद्यमी है। उन्होंने मात्र 21 साल कि उस में अपने अनुभव, सही अवसर को पहचानने की क्षमता और मेहनत के बल पर अपने
सपनों को हकीकत का रूप दे दिया।
युवा-उद्यमी की बिज़नेस यात्रा -
कहा जाता है जो कुछ करना चाहता है उसके लक्षण बचपन से ही दिखने लगता है वही हुआ रीतेश अग्रवाल ने बिजनेस के बारे में समझने और सोचने का
काम कम उम्र में ही शुरू कर दिया था। इसमें सबसे बड़ी भूमिका उनके परिवार की थी। 16 नवंबर 1993 (Ritesh Agarwal Age 27 yrs.) को रितेश
जग्रवाल का जन्म उड़ीसा राज्य के कटक विसाम में एक मिडिल क्लास मारवाड़ी परिवार में हुआ। उनके पिता इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन के एक कंपनी के साथ
मिलकर काम करते हैं.और उनकी मां एक गहनी है। उन्होंने अपनी बारहवीं तक कि पढ़ाई जिले के हीScared Heart School से की। इसके बाद यो IIT
में दाखिला लेना कहते थे जिसकी तैयारी के लिए कोटा आ गए जो की राजस्थान में है और IIT के पढ़ाई के लिए प्रशीच है। कोटा में जाने के बाद वो बस दो ही काम करते थे-एक पड़ना और दूसरा, जब भी छुट्टी
मिले खूब पूमना। इसी समय से उनकी रूथी ट्रैवलिंग में बड़ने लगी। कोटा में ही उन्होंने एक किताब भीलिख डाली जिसका नाम- Indian Engineering
Collages: A complete Encyclopaedia of
Top 100 Engineering Collages और जैसा कि पुस्तक के नाम से ही लग रहा है, यह पुस्तक देश के 100 सबसे प्रतिष्ठीत इंजनीयरिंग कॉलेजों के बारे में थी। इस किताब को देश की सबसे प्रसिद्ध ई-कमर्स साईट Flipkart पर बहुत पसंद किया गया और यह 16 वर्ष की उम्र में उनका चुनाव मुंबई स्थित Tata Institute of Fundamental Research (TIRF)
में आयोजित, Asian Science Camp के लिए किया गया। यह कैम्प एक वार्षिक संवाद मंच है जहां ऐशियाई मूल के छात्र शामिल किसी क्षेत्र विशेष की समस्याओं पर विचार-विमर्श कर विज्ञान और तकनीक की मदद से उसका हल डूला करते हैं। जब वो मुंबई भी आए तो कुट्टी के दिनों में यूव ट्रैवल किया करते और ठहरने के लिए सस्ते दामों पर उपलब्ध होटल्स (Budget Hotels) का प्रयोग करते। पहले से ही रीतेश की रूची बिज़नेस में बहुत थी और इस क्षेत्र में वे कुछ अलग करना चाहते थे। लेकिन बिजनेस किस चीज का किया जाए, इस बात को लेकर वे स्पष्ट नहीं थे। किस चीज मे बिजनस की जाए उसके लिए कई बार वे कोटा से ट्रेन पकड़ दिल्ली आ जाया करते और मुंबाई की ही तरह सस्ते होटल्या में सकते जिससे की यो दिल्ली में होने वाले युवा उद्यमियों के आयोजनों और सम्मेलनों में शामिल होकर नए युवा उद्यमियों और स्टार्ट-अप फाउंडर्स से मिल सके और उनसे कुछ सीखने के लिए मिले। कई बार इन इवेन्टस में शामिल होने का रजिस्ट्रेशन शुल्क इतना ज्यादा होता कि उनके
लिए उसे दे पाना बहुत मुश्किल हो जाता। इसलिए कभी-कभी वो इन आयोजनों में चोरी-चुपके जा बैठते! यही वो वक्त था, जब उन्होंने ट्रैवलिंग के दौरान ठहरने के लिए प्रयोग किए गए सस्तें होटल्स के बुरे अनुभयों को अपने बिजनेस का रूप देने की सोची और लग गए इस काम मे।


♥ORAVEL STAYS से की शुरूआत -

जब वो 2012 मे मात्र 18 वर्ष के थे तो उन्होंने अपना
स्टार्टअप OREVAL STAYS की शुरुआत की। इस
कंपनी का मुख्य उद्देश्य ट्रेवल्स को थोड़े समय के लिए
कम दामों पर कमरों को उपलब्ध करवाना था। जिसे
कोई भी आसानी से ऑनलाइन मोबाईल या वेब से
रिजर्व कर सकता था। कंपनी के शुरू होने के कुछ
समय बाद उन्हें नए स्टार्टअप में निवेश करने वाली
कंपनी VentureNursery से 30 लाख का फंड भी
प्राप्त हो गया।
अब रितेश के पास अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने के
लिए पर्याप्त पैसे थे और अनोको तरीके थे। कुछ समय
बाद उन्होंने अपने बिजनेस आइडिया को PayPal
कंपनी के founder पीटर थैल के चेल फाउंडेशन
द्वारा आयोजित international प्रतियोगिता में उनके
समक्ष रखा और सौभाग्यवश भी इस प्रतियोगिता में
प्रथम स्थान प्राप्त करने में सफल रहे और उन्हें
फेलोशिप के रूप में लगभग 65 लाख की धनराशि
प्राप्त हुई।
बहुत ही कम समय में उनके स्टार्टअप को मिली इन
सफलताओं से वह काफी उत्साहित थे, लेकिन धीरेधीरे उनका यह बिजनेस मॉडल प्रॉपर प्रोफिट देने में
असफल रहा और OREVAL STAYS पूहे तरह से
पाटे में चला गया और वो जितना भी स्थिती को
सुधारने का प्रयास करते , स्थिति और भी खराब होती
जाती और लास्ट में एक पल ऐसा आया कि उन्हें इस
कंपनी को अस्थाई रूप से बंद करना पड़ा    Subscribe my YouTube channel - om chaturvedi
                       

                                                        ** जब ORAVEL STAYS बन गया OYO 
ROOMS.                                   
रीतेश अपने स्टार्ट-अप के असफल होने से निराश
बिल्कुल नहीं हुए और उन्होंने दुबारा अपने द्वारा
अपनाई गई योजना पर विचार करने कि सोची ताकि
इसकी कमियों को दूर किया जा सके। इससे उन्हें यह
अनुभव हुआ कि भारत में बाते होटल्या में कमरे
मिलना या न मिलना कोई बड़ी समस्या नहीं हैं, समस्या
हे तो होटल्स का कम पैसे में बेहतरीन सुविधाओं को
प्रदान न कर पाना। विचार करते हुए उन्हें अपनी
यात्राओं के दोरान बज़ट होटल्स में ठहरने के उन
अनुभवों को भी याद किया जब उन्हें कभी-कभी बहुत
ज्यादा पैसे देने पड़ते थे उसके बाद भी गंदे और रीतेश अपने स्टार्ट-अप के असफल होने से निराश बिल्कुल नहीं हुए और उन्होंने दुबारा अपने द्वारा अपनाई गई योजना पर विचार करने कि सोची ताकि इसकी कमियों को दूर किया जा सके। इससे उन्हें यह अनुभव हुआ कि भारत में सस्ते होटल्स में कमरे मिलना या न मिलना कोई बड़ी समस्या नहीं हैं, समस्या है तो होटल्स का कम पैसे में बेहतरीन सुविधाओं को प्रदान न कर पाना। विचार करते हुए उन्हें अपनी यात्राओं के दौरान बज़ट होटल्स में ठहरने के उन अनुभवों को भी याद किया जब उन्हें कभी-कभी बहुत ज्यादा पैसे देने पड़ते थे उसके बाद भी गंदे और बदबूदार कमरें मिलते और कभी-कभी कम पैसों में ही आरामदायक और सुविधापूर्ण कमरे मिल जाते थे। इन्हीं बातों ने उन्हें फिर से प्रेरित किया कि वे फिर से Oravel Stays में कूटच नये बदलाव करे एवं ट्रैवलर्स की सुविधाओं को ध्यान में रख उसे नये रूप में प्रस्तुत किया और फिर क्या था वर्ष 2013 में फिर ओरावेल लॉन्च हुआ लेकिन अब इसका नाम बड़क कर OYO ROOMS  किया गया जिसका मतलब होता है “आपके अपने कमरे” और उनका उद्देश्य अब सिर्फ ट्रेवल्स को किसी होटल में कमरा मुहैया कराना पर नहीं रह गया था सच तो यह था की अब वह होटल के कमरों की और वहां मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं की क्वालिटी का भी ख्याल रखने लगे ।                             ,

,           ,★★ सफलता के कदम –
                     पहले की गलतियों से सबक ले कर फिर इस बार रितेश गलतियों को दोहराना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने एक बिजनेस firm 70MM नाम के सीईओ भावना अगरवाल से मिलकर बिजनेस की बारीकियों को बेहतरीन ढंग से जाना। जिससे उन्हें कंपनी के लिए सही फैसले लेने में काफी अधिक मदद मिली , और इस बार रितेश की मेहनत रंग लाई और सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा वह चाहते थे ।             किफायती दामों या यू कहे कम दामों पर बेहतरीन सुविधाओं के साथ ट्रैवलर्स को यह सेवा लोगों को बहुत पसंद आने लगी। धीरे-धीरे ग्राहकों कि मांगो को पूरा करने के लिए कंपनी में कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ी 2 से 15, 15 से 25 कर दी गई। अगर वर्तमान की बात करे तो ओयो में कर्मचारियों की संख्या अब 1500 से भी अधिक हैं।                                            कंपनी के स्थापित होने के एक वर्ष बाद ही, 2014 में ही दो बड़ी कंपनियों Light speed Venture Partners (LSVP) एवं DSG Consumer Partners ने Oyo Rooms  में 4 करोड़ रुपयों का निवेश किया। वर्ष 2016 में, जापान की बहुराष्ट्रीय कंपनी Softbank ने भी 7 अरब रूपयें का निवेश किया है। जो कि एक नई कंपनी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी होती है।

वह बात जिसने रीतेश अग्रवाल को कंपनी को और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है, वह है- हर महीने ग्राहकों द्वारा 1 करोड़ रूपये से भी ज्यादा की जाने वाली बुकिंग।

आज मात्र 6 वर्षों में Oyo Rooms 25 हजार से भी ज्यादा होटलो की श्रृंखला (1000000 कमरों) के साथ देश की सबसे बड़ी आरामदेह एवं सस्ते दामों पर लागों को कमरा उपलब्ध कराने वाली एक कंपनी बन चुकी है और ये आँकरा दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। रीतेश अग्रवाल की यह कंपनी भारत के टॉप स्टार्ट-अप कंपनियों में से एक हैं।2016 मे कंपनी ने मलेशिया में भी अपनी सेवाएं देना प्रारम्भ कर दिया है और आने वाले समय में अन्य देशों में भी अपनी पहुँच बनाने जा रही है।                   2 July, 2016 को  प्रतिष्ठीत अंतराष्ट्रीय मैगज़ीन GQ (Gentlemen’s Quarterly) ने रितेश अग्रवाल को 50 Most Influential Young Indians: Innovators की सूची में शामिल किया है। इस सूची में उन युवा इनोवेटर्स को शामिल किया जाता है जो अपनी नई सोच व विचारों से लोगों की जिंदगी को आसान बनाते है।

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