लक्ष्य निर्धारण
बिना लक्ष्य निर्धारण के व्यक्ति इधर-उधर भटकता रहता है, जब तक आपको यह पता नहीं है कि आपकी मंजिल क्या है? आप क्या प्राप्त करना चाहते हैं? आपकी आकांक्षा क्या है? तब तक आप द्वारा की गई कोशिश, बिना दिशा ज्ञान के चलने वाली नौका के समान है। ऐसी नौका का नाविक बस पतवार चलाता रहता है। वह कहाँ पहुँच गया या वापस वहीं आ गया, जहाँ से चला इसका उसे कुछ पता ही नहीं रहता।
“Goals are the fuel in the furnace of
achievement.”
Brian Tracy
उपलब्धि प्राप्ति हेतु लक्ष्य ईंधन के समान होते हैं।
ब्रायन ट्रेसी
अपना लक्ष्य तय करने के बाद से ही व्यक्ति उस लक्ष्य प्राप्ति हेतु गम्भीरता से प्रयास करने लगता है। अनेक व्यक्ति अपने सामने बहुत बड़ा लक्ष्य रखकर,कर उस लक्ष्य प्राप्ति हेतु पूरी लगन एवं निष्ठा से स्वयं को झोंक देते हैं। इनमें से
कई व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति भी कर लेते हैं, जबकि कुछ असफल भी हो जाते हैं।
हमारा मानना है कि यदि सम्भव हो, तो अन्तिम बड़े लक्ष्य की अपेक्षा छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित कर लेने चाहिए। मान लो आप किसी बड़े लक्ष्य की
प्राप्ति हेतु दो वर्ष देना चाहते हैं, तो आप अपने लिए 6-6 माह के लिए लक्ष्य निर्धारित कर लें और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में जाने वाली समस्याओं एवं
कठिनाइयों का स्वयं आकलन करें, समीक्षा करें। अपने प्रयासों का विश्लेषण, समीक्षा और अपनी कमियों का ज्ञान अगले लक्ष्य की प्राप्ति में अत्यधिक मददगार होता है। एक बात का और भी ध्यान रखें। यह एक व्यावहारिक बात है कि लक्ष्य, आपकी योग्यता, क्षमता के अनुरूप हो, इसका अर्थ यह नहीं है कि हम अपनी योग्यता, क्षमता में वृद्धि नहीं कर सकते। अपनी योग्यता, क्षमता में वृद्धि निश्चित रूप से की जा सकती है, लेकिन इस हेतु जिन साधनों की आवश्यकता है, उनके सन्दर्भ में निर्णय करें। एक और महत्त्वपूर्ण बिन्दु यह है कि जितना बड़ा आपका लक्ष्य होगा, आपको उतनी ही अधिक मेहनत करनी होगी। बड़े लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किया गया प्रयास भी उतना ही वृहत् होना चाहिए।
• लक्ष्य निर्धारण करने के बाद ही आप उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अपनी योग्यता
और क्षमता को एक निश्चित दिशा में प्रयुक्त करना शुरू करते हैं।
• लक्ष्य निर्धारण से आपको एक निश्चित दिशा में कार्य करने की प्रेरणा मिलती
• लक्ष्य निर्धारण से तात्पर्य यह है कि आप में उस लक्ष्य को प्राप्त करने की
इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास है।
- लक्ष्य निर्धारण करने के बाद ही आप आत्मविश्लेषण कर, स्वयं को उस लक्ष्य
प्राप्ति हेतु तैयार करते हैं और स्वयं को अनुशासित कर, लक्ष्य प्राप्ति के पथ
पर अग्रसर होते हैं।
★लक्ष्य करो तय, बढ़ो आगे
लक्ष्यहीन व्यक्ति कभी इधर भागे
तो कभी उधर भागे।★
•लक्ष्य निर्धारण के बाद आप योजना बनाकर बहुत समझदारी से, मेहनत से, लगन एवं निष्ठा से उस लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट जाते हैं।
• लक्ष्य की प्राप्ति से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, स्वयं के प्रति सम्मान बढ़ता
है, स्वयं की क्षमता एवं योग्यता पर विश्वास बनता है। आप में और अधिक संघर्ष करने की लौ जागती है।
अत: लक्ष्य निर्धारण बहुत महत्त्वपूर्ण है, यह जीत की राह का अहम् पड़ाव है।
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